Akassh_ydv

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वाह...क्या बात हो

बोझल सी सांसो को
पनीली हुई आंखों को
लरज रहे होंठो को
आ कर कोई हंसाये तो
वाह क्या बात हो..!!

राख के संदूक को
तीखी बोलियों वाली बन्दूक को
दिल के उस हुक को
कोई आ कर के जलाए तो
वाह क्या बात हो..!!

महकती हुई खुश्बू को
मोहब्बत की जुस्तजू को
कभी जो पूरी न होगी
आपको छूने की आरजू को
आ कर कोई गंगा में बहाये तो
वाह क्या बात हो..!!

लपलपाती दिये कि उस लौ को
टिमटिमाते जुगनुओं को
उम्मीदों से भरी
ऑंखों की उस रौशनी को
आ कर कोई बुझाये तो
वाह क्या बात हो..!!

गुज़र चुकी जो ज़िन्दगी
खुदा की वो बन्दगी
मंदिरों की सीढ़ियों से हो कर
बिता वक़्त लौट आये तो
वाह क्या बात हो...!!


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2 Comments

kapil sharma

24-Jan-2022 10:08 AM

👍👍👍

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Akassh_ydv

24-Jan-2022 11:13 AM

शुक्रिया

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